Vedic सभ्यता का पतन कई कारणों से हुआ, जिनमें मुख्यतः सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक बदलाव शामिल थे। यहां कुछ प्रमुख कारण दिए गए हैं:

आंतरिक संघर्ष और जनसंख्या का विस्तार: वैदिक समाज में धीरे-धीरे वर्ग विभाजन और आंतरिक संघर्ष बढ़ गए थे, जिससे समाज कमजोर हुआ। समाज कई जनों और कबीले में बंटा हुआ था, जो आपस में संघर्ष कर रहे थे।

राजनीतिक अस्थिरता: वैदिक काल के बाद महाजनपदों का उदय हुआ, लेकिन उनके बीच निरंतर युद्ध और राजनीतिक अस्थिरता ने सभ्यता की जड़ों को कमजोर किया। इससे केंद्रीकृत शक्ति की कमी हो गई।

आर्थिक बदलाव: कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में विस्तार के कारण प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हुआ, और इससे आर्थिक अस्थिरता आई। व्यापारिक मार्गों में भी बदलाव आया जिससे वैदिक समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

धार्मिक और सांस्कृतिक बदलाव: वैदिक धर्म और अनुष्ठानों की जटिलता बढ़ती गई, जो सामान्य जनता के लिए कठिन होती गई। इसके साथ-साथ बौद्ध और जैन धर्म जैसी नई धार्मिक और दार्शनिक धाराओं का उदय हुआ, जिन्होंने वैदिक समाज की लोकप्रियता और प्रभाव को कम किया।

विदेशी आक्रमण: समय के साथ, ईरानियों, यूनानियों, और शक, कुषाण जैसी विदेशी ताकतों ने भारत पर आक्रमण किया, जिससे वैदिक सभ्यता और उसके मूलभूत सिद्धांतों पर गहरा प्रभाव पड़ा।

इन कारणों से वैदिक सभ्यता धीरे-धीरे पतन की ओर बढ़ी और उसकी जगह नए साम्राज्य और सभ्यताओं ने ले ली।